Wednesday, June 18, 2014

ग्रीष्म ऋतू दिनचर्या Daily routine in summer

ग्रीष्म ऋतू दिनचर्या --
- ग्रीष्म ऋतु में सुबह सूर्योदय से पहले उठ कर शौच क्रिया एवं स्नान से निवृत्त हो जाने से शरीर में अतिरिक्त उष्णता नहीं बढ़ पाती। कुछ महिलाएँ रसोई घर के काम से निवृत्त होकर दोपहर को स्नान करती हैं। इससे शरीर में उष्णता बढ़ती जाती है। ग्रीष्म ऋतु में ऐसा न करके सूर्योदय से पहले ही स्नान कर लें, फिर रसोई घर में काम करें।
- दिन में 1-1 गिलास करके बार-बार ठंडा पानी पीते रहना चाहिए। विशेषकर घर से बाहर निकलते समय एक गिलास ठंडा पानी, बिना प्यास के भी, पीकर ही बाहर निकलना चाहिए। इस उपाय से लू नहीं लगती। इसी तरह रात को 10 बजे के बाद जागना पड़े तो हर घण्टे 1-1 गिलास पानी तब तक पीते रहें जब तक सो न जाएँ। इस उपाय से वात और पित्त का प्रकोप नहीं होता।
- ग्रीष्म ऋतु में साठी के पुराने चावल, गेहूँ, दूध, मक्खन, गौघृत के सेवन से शरीर में शीतलता, स्फूर्ति तथा शक्ति आती है। सब्जियों में लौकी, गिल्की, परवल, नींबू, करेला, केले के फूल, चौलाई, हरी ककड़ी, हरा धनिया, पुदीना और फलों में तरबूज, खरबूजा, एक-दो-केले, नारियल, मौसमी, आम, सेब, अनार, अंगूर का सेवन लाभदायी है।
- इस ऋतु में दिन बड़े और रात्रियाँ छोटी होती हैं। अतः दोपहर के समय थोड़ा सा विश्राम करना चाहिए। इससे इस ऋतु में धूप के कारण होने वाले रोग उत्पन्न नहीं हो पाते।वात पैदा करने वाले आहार-विहार के कारण शरीर में वायु की वृद्धि होने लगती है।
- रात को देर तक जागना और सुबह देर तक सोये रहना त्याग दें। अधिक व्यायाम, अधिक परिश्रम, धूप में टहलना, अधिक उपवास, भूख-प्यास सहना ये सभी वर्जित हैं।
- इस ऋतु में मुलतानी मिट्टी से स्नान करना वरदान स्वरूप है। इससे जो लाभ होता है, साबुन से नहाने से उसका 1 प्रतिशत लाभ भी नहीं होता। जापानी लोग इसका खूब लाभ उठाते हैं। गर्मी को खींचने वाली, पित्तदोष का शमन करने वाली, रोमकूपों को खोलने वाली मुलतानी मिट्टी से स्नान करें और इसके लाभों का अनुभव करें।
- चन्दन का टिका , इसका लेप लाभकारी है.
-ग्रीष्म ऋतु में सूर्य अपनी किरणों द्वारा शरीर के द्रव तथा स्निग्ध अंश का शोषण करता है, जिससे दुर्बलता, अनुत्साह, थकान, बेचैनी आदि उपद्रव उत्पन्न होते हैं। उस समय शीघ्र बल प्राप्त करने के लिए मधुर, स्निग्ध, जलीय, शीत गुणयुक्त सुपाच्य पदार्थों की आवश्यकता होती है। इन दिनों में आहार कम लेकर बार-बार जल पीना हितकर है परंतु गर्मी से बचने के लिए बाजारू शीत पदार्थ एवं फलों के डिब्बाबंद रस हानिकारक हैं। उनसे लाभ की जगह हानि अधिक होती है। उनकी जगह नींबू का शरबत, आम का पना, जीरे की शिकंजी, ठंडाई, हरे नारियल का पानी, फलों का ताजा रस, दूध आदि शीतल, जलीय पदार्थों का सेवन करें। ग्रीष्म ऋतु में स्वाभाविक उत्पन्न होने वाली कमजोरी, बेचैनी आदि परेशानियों से बचने के लिए धनिया पंचक , ठंडाई ,गुलाब शरबत , बेल शरबत आदि ले .
- धनिया पंचकः धनिया, जीरा व सौंफ समभाग मिलाकर कूट लें। इस मिश्रण में दुगनी मात्रा में काली द्राक्ष व मिश्री मिलाकर रखें।

उपयोगः एक चम्मच मिश्रण 200 मि.ली. पानी में भिगोकर रख दें। दो घंटे बाद हाथ से मसलकर छान लें और सेवन करें। इससे आंतरिक गर्मी, हाथ-पैर के तलुवों तथा आँखों की जलन, मूत्रदाह, अम्लपित्त, पित्तजनित शिरःशूल आदि से राहत मिलती है। गुलकंद का उपयोग करने से भी आँखों की जलन, पित्त व गर्मी से रक्षा होती है।
- गुलाब शरबत- डेढ़ कि.ग्रा. चीनी में देशी गुलाब के 100 ग्राम फूल मसलकर शरबत बनाया जाय तो वह बाजारू शरबतों से पचासों गुना हितकारी है। सेक्रीन, रासायनिक रंगों और विज्ञापन से बाजारू शरबत महंगे हो जाते हैं। आप घर पर ही यह शरबत बनायें। यह आँखों व पैरो की जलन तथा गर्मी का शमन करता है। पीपल के पेड़ की डालियाँ, पत्ते, फल मिलें तो उन्हें भी काट-कूट के शरबत में उबाल लें। उनका शीतलतादायी गुण भी लाभकारी होगा।

छोटे लहसुन के बड़े फायदे Health benefits of Garlic



कुछ नुस्खे: छोटे लहसुन के बड़े फायदे.......
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(इन बीमारियों में है रामबाण)


लहसुन सिर्फ खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाता बल्कि शरीर के लिए एक औषधी की तरह भी काम करता है।इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, लवण और फॉस्फोरस, आयरन व विटामिन ए,बी व सी भी पाए जाते हैं। लहसुन शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है। भोजन में किसी भी तरह इसका सेवन करना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है आज हम बताने जा रहे हैं आपको औषधिय गुण से भरपूर लहसुन के कुछ ऐसे ही नुस्खों के बारे में जो नीचे लिखी स्वास्थ्य समस्याओं में रामबाण है।

1-- 100 ग्राम सरसों के तेल में दो ग्राम (आधा चम्मच) अजवाइन के दाने और आठ-दस लहसुन की कुली डालकर धीमी-धीमी आंच पर पकाएं। जब लहसुन और अजवाइन काली हो जाए तब तेल उतारकर ठंडा कर छान लें और बोतल में भर दें। इस तेल को गुनगुना कर इसकी मालिश करने से हर प्रकार का बदन का दर्द दूर हो जाता है।

2-- लहसुन की एक कली छीलकर सुबह एक गिलास पानी से निगल लेने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है।साथ ही ब्लडप्रेशर भी कंट्रोल में रहता है।

3-- लहसुन डायबिटीज के रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है।

4-- खांसी और टीबी में लहसुन बेहद फायदेमंद है। लहसुन के रस की कुछ बूंदे रुई पर डालकर सूंघने से सर्दी ठीक हो जाती है।

5-- लहसुन दमा के इलाज में कारगर साबित होता है। 30 मिली लीटर दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है। अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है।

6-- लहसुन की दो कलियों को पीसकर उसमें और एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर मिला कर क्रीम बना ले इसे सिर्फ मुहांसों पर लगाएं। मुहांसे साफ हो जाएंगे।

7-- लहसुन की दो कलियां पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें और ठंडा करके सुबह शाम कुछ दिन पीएं दिल से संबंधित बीमारियों में आराम मिलता है।

8-- लहसुन के नियमित सेवन से पेट और भोजन की नली का कैंसर और स्तन कैंसर की सम्भावना कम हो जाती है।

9-- नियमित लहसुन खाने से ब्लडप्रेशर नियमित रहता है। एसीडिटी और गैस्टिक ट्रबल में भी इसका प्रयोग फायदेमंद होता है। दिल की बीमारियों के साथ यह तनाव को भी नियंत्रित करती है।

10-- लहसुन की 5 कलियों को थोड़ा पानी डालकर पीस लें और उसमें 10 ग्राम शहद मिलाकर सुबह -शाम सेवन करें। इस उपाय को करने से सफेद बाल काले हो जाएंगे।

11- यदि रोज नियमित रूप से लहसुन की पाँच कलियाँ खाई जाएँ तो हृदय संबंधी रोग होने की संभावना में कमी आती है। इसको पीसकर त्वचा पर लेप करने से विषैले कीड़ों के काटने या डंक मारने से होने वाली जलन कम हो जाती है।

12- जुकाम और सर्दी में तो यह रामबाण की तरह काम करता है। पाँच साल तक के बच्चों में होने वाले प्रॉयमरी कॉम्प्लेक्स में यह बहुत फायदा करता है। लहसुन को दूध में उबालकर पिलाने से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। लहसुन की कलियों को आग में भून कर खिलाने से बच्चों की साँस चलने की तकलीफ पर काफी काबू पाया जा सकता है।

13- लहसुन गठिया और अन्य जोड़ों के रोग में भी लहसुन का सेवन बहुत ही लाभदायक है।

लहसुन की बदबू-

अगर आपको लहसुन की गंध पसंद नहीं है कारण मुंह से बदबू आती है। मगर लहसुन खाना भी जरूरी है तो रोजमर्रा के लिये आप लहसुन को छीलकर या पीसकर दही में मिलाकर खाये तो आपके मुंह से बदबू नहीं आयेगी। लहसुन खाने के बाद इसकी बदबू से बचना है तो जरा सा गुड़ और सूखा धनिया मिलाकर मुंह में डालकर चूसें कुछ देर तक, बदबू बिल्कुल निकल जायेग

घमौरियां (Prickly Heat)

घमौरियां (Prickly Heat)
अक्सर पसीने की ग्रन्थियों का मुंह बन्द हो जाने के कारण हमारे शरीर पर छोटे-छोटे लाल दाने निकल आते हैं। इन दानों में खुजली व जलन होती है। सामान्य भाषा में हम इसे घमौरियाँ (Prickly heat या Miliaria) कहते हैं। गरम एवं आर्द्र (ह्युमिड) मौसम की दशा में घमैरी होती हैं। घमौरियाँ अक्सर हमारी पीठ, छाती, बगल व कमर के आसपास होती है।
इसमें खुजली होने के साथ सुई सी चुभन होती है। गर्मी की अधिकता, अधिक पसीना आने, गंदगी से यह दिक्कत होती है। त्वचा पर छोटी-छोटी और लाल-लाल फुन्सियां निकलती हैं, जिसमें से कभी-कभी दूषित द्रव निकलने लगता है तथा इनमें खुजली भी होती रहती है।
बचाव:-
  • वैसे यह रोग कुछ दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाता है लेकिन यदि रोगी व्यक्ति इससे अधिक परेशान हो तो इस रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार किया जा सकता है
  •   अत्यधिक धूप में न निकलें।
  • हल्के कपड़े पहनें।
  • गरम और तेज मिर्च-मसाले युक्त भोजन से पहरेज करें।
  • ठंडे और शांतिदायक शर्बत व पेय का सेवन करें।
  • साफ, धुले, सूती कपड़े पहनें। अंतर्वस्त्र दो बार बदलें।
उपचार:-
  • दिन में कम से कम दो बार ठंडे पानी से रगड़-रगड़कर स्नान करें।
  •  त्वचा पर कोक बटर, मिल्क क्रीम, मक्खन, कोल्ड क्रीम, मॉइश्चराइजर आदि की मालिश करें।
  •  गुलाब के फूलों का तेल 12 मिली, सिरका 48 मिली, कपूर एक ग्राम और फिटकरी तीन ग्राम लेकर मिलाकर दानों में लगाएं।
  •  नौशादर, कपूर, नीला थोथा, गंधक आमलासार सबको नौ-नौ ग्राम लेकर पीसकर तीन भाग में कर लें। फिर इसके एक भाग को दही में मिलाकर दानों पर मले। इसके सूखने पर स्नान कर लें।
  • मुलतानी मिट्टी का दानों पर लेप करने से आराम मिलता है।
  • खशखश के बीज 12 ग्राम को बकरी के दूध में पीसकर दानों पर मलें। फिर आधा घंटा बाद स्नान करना लाभकारी होता है।
घमौरियां  (Prickly Heat)

अक्सर पसीने की ग्रन्थियों का मुंह बन्द हो जाने के कारण हमारे शरीर पर छोटे-छोटे लाल दाने निकल आते हैं। इन दानों में खुजली व जलन होती है। सामान्य भाषा में हम इसे घमौरियाँ (Prickly heat या Miliaria) कहते हैं। गरम एवं आर्द्र (ह्युमिड) मौसम की दशा में घमैरी होती हैं। घमौरियाँ अक्सर हमारी पीठ, छाती, बगल व कमर के आसपास होती है।
इसमें खुजली होने के साथ सुई सी चुभन होती है। गर्मी की अधिकता, अधिक पसीना आने, गंदगी से यह दिक्कत होती है। त्वचा पर छोटी-छोटी और लाल-लाल फुन्सियां निकलती हैं, जिसमें से कभी-कभी दूषित द्रव निकलने लगता है तथा इनमें खुजली भी होती रहती है।

बचाव:-

# वैसे यह रोग कुछ दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाता है लेकिन यदि रोगी व्यक्ति इससे अधिक परेशान हो तो इस रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार किया जा सकता है
# अत्यधिक धूप में न निकलें।
# हल्के कपड़े पहनें।
# गरम और तेज मिर्च-मसाले युक्त भोजन से पहरेज करें।
# ठंडे और शांतिदायक शर्बत व पेय का सेवन करें।
# साफ, धुले, सूती कपड़े पहनें। अंतर्वस्त्र दो बार बदलें।

उपचार:-

 > दिन में कम से कम दो बार ठंडे पानी से रगड़-रगड़कर स्नान करें।
> त्वचा पर कोक बटर, मिल्क क्रीम, मक्खन, कोल्ड क्रीम, मॉइश्चराइजर आदि की मालिश करें।
> गुलाब के फूलों का तेल 12 मिली, सिरका 48 मिली, कपूर एक ग्राम और फिटकरी तीन ग्राम लेकर मिलाकर दानों में लगाएं।
> नौशादर, कपूर, नीला थोथा, गंधक आमलासार सबको नौ-नौ ग्राम लेकर पीसकर तीन भाग में कर लें। फिर इसके एक भाग को दही में मिलाकर दानों पर मले। इसके सूखने पर स्नान कर लें।
> मुलतानी मिट्टी का दानों पर लेप करने से आराम मिलता है।
> खशखश के बीज 12 ग्राम को बकरी के दूध में पीसकर दानों पर मलें। फिर आधा     घंटा बाद स्नान करना लाभकारी होता है।

Saturday, June 7, 2014

अनचाहे बालों को हटाने के लिए घरेलू उपाय


घरेलू चीज़ों से हटाइये चेहरे के बाल

महिलाओं के लिये सुंदरता पर कोई दाग आए उन्‍हें बिल्‍कुल पसंद नहीं। खास कर अगर चेहरे पर बाल हों तो उन्‍हें बहुत चिंता हो जाती है। उनके सामने ये बहुत बड़ी समस्‍या होती है। चेहरे पर बाल होने से चेहरा गंदा और काला दिखाई देता हैं । महिलाएं सोचती हैं कि अगर चेहरे से बाल हटाने हैं तो उन्‍हें केवल ब्‍लीच का सहारा है। पर हर समय ब्‍लीच करने से चेहरे और त्‍वचा पर गलत असर पड़ने लगता है। सुंदर त्वचा और चेहरे पर बाल हटाने के लिए घरेलू उपचार अपनाए जा सकते हैं। ऐसे घरेलू उपचारों से चेहरा चमचमाने लगेगा और चेहरा एक जैसा दिखेगा। आइये जानते हैं कि क्‍या हैं वे घरेलू उपचार -
घरेलू उपचार:
1. बेसन को हल्‍दी के साथ मिलाइए , उसमें सरसों का तेल डाल कर गाढा पेस्‍ट बनाइए। इसे चेहरे पर लगा कर रगडिये और इसे हफ्ते में दो बार लगाइये। ऐसा करने से चेहरा चमचमाने लगेगा।
2. हल्‍दी पाउडर को नमक के साथ मिलाइए। इसमें कुछ बूंदे नींबू और दूध की मिला सकती हैं। 5 मिनट के लिए मसाज कीजिए। इससे आपके चेहरे के बाल गायब होंगे और चेहरा सफेद भी होगा।
3. नींबू और शहद के पेस्‍ट को मिला कर अपने चेहरे पर 15-20 मिनट के लिए लगा रहने दीजिए। इसके बाद इसे रगड कर छुडाइए और ठंडे पानी से धो लीजिए।
4. चीनी डेड स्‍किन को हटाती है और चेहरे के बालों को जड़ से निकाल देती है। अपने चेहरे को पानी से गीला कीजिए उस पर चीनी लगा कर रगडिए। ऐसा हफ्ते में 2 बार जरुर कीजिए।
5. एक कटोरे में 1 अंडे का सफेद भाग ले कर चीनी और कार्न फ्लोर के साथ मिला दीजिए। इसे चेहरे और गर्दन पर लगाए। 15 मिनट मसाज करने के बाद 5 मिनट छोड़ दीजिए और फिर ठंडे पानी से धो लीजिए। ऐसा हफ्ते में 3 बार करें।
6. बेसन को हल्‍दी और दही के साथ मिलाए और चेहरे पर 20 मिनट के लिए लगाइए। इसे बाद में दूध और फिर ठंडे पानी से धो लीजिए। एएसा हफ्ते में 2 बार कर