Wednesday, June 18, 2014

घमौरियां (Prickly Heat)

घमौरियां (Prickly Heat)
अक्सर पसीने की ग्रन्थियों का मुंह बन्द हो जाने के कारण हमारे शरीर पर छोटे-छोटे लाल दाने निकल आते हैं। इन दानों में खुजली व जलन होती है। सामान्य भाषा में हम इसे घमौरियाँ (Prickly heat या Miliaria) कहते हैं। गरम एवं आर्द्र (ह्युमिड) मौसम की दशा में घमैरी होती हैं। घमौरियाँ अक्सर हमारी पीठ, छाती, बगल व कमर के आसपास होती है।
इसमें खुजली होने के साथ सुई सी चुभन होती है। गर्मी की अधिकता, अधिक पसीना आने, गंदगी से यह दिक्कत होती है। त्वचा पर छोटी-छोटी और लाल-लाल फुन्सियां निकलती हैं, जिसमें से कभी-कभी दूषित द्रव निकलने लगता है तथा इनमें खुजली भी होती रहती है।
बचाव:-
  • वैसे यह रोग कुछ दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाता है लेकिन यदि रोगी व्यक्ति इससे अधिक परेशान हो तो इस रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार किया जा सकता है
  •   अत्यधिक धूप में न निकलें।
  • हल्के कपड़े पहनें।
  • गरम और तेज मिर्च-मसाले युक्त भोजन से पहरेज करें।
  • ठंडे और शांतिदायक शर्बत व पेय का सेवन करें।
  • साफ, धुले, सूती कपड़े पहनें। अंतर्वस्त्र दो बार बदलें।
उपचार:-
  • दिन में कम से कम दो बार ठंडे पानी से रगड़-रगड़कर स्नान करें।
  •  त्वचा पर कोक बटर, मिल्क क्रीम, मक्खन, कोल्ड क्रीम, मॉइश्चराइजर आदि की मालिश करें।
  •  गुलाब के फूलों का तेल 12 मिली, सिरका 48 मिली, कपूर एक ग्राम और फिटकरी तीन ग्राम लेकर मिलाकर दानों में लगाएं।
  •  नौशादर, कपूर, नीला थोथा, गंधक आमलासार सबको नौ-नौ ग्राम लेकर पीसकर तीन भाग में कर लें। फिर इसके एक भाग को दही में मिलाकर दानों पर मले। इसके सूखने पर स्नान कर लें।
  • मुलतानी मिट्टी का दानों पर लेप करने से आराम मिलता है।
  • खशखश के बीज 12 ग्राम को बकरी के दूध में पीसकर दानों पर मलें। फिर आधा घंटा बाद स्नान करना लाभकारी होता है।
घमौरियां  (Prickly Heat)

अक्सर पसीने की ग्रन्थियों का मुंह बन्द हो जाने के कारण हमारे शरीर पर छोटे-छोटे लाल दाने निकल आते हैं। इन दानों में खुजली व जलन होती है। सामान्य भाषा में हम इसे घमौरियाँ (Prickly heat या Miliaria) कहते हैं। गरम एवं आर्द्र (ह्युमिड) मौसम की दशा में घमैरी होती हैं। घमौरियाँ अक्सर हमारी पीठ, छाती, बगल व कमर के आसपास होती है।
इसमें खुजली होने के साथ सुई सी चुभन होती है। गर्मी की अधिकता, अधिक पसीना आने, गंदगी से यह दिक्कत होती है। त्वचा पर छोटी-छोटी और लाल-लाल फुन्सियां निकलती हैं, जिसमें से कभी-कभी दूषित द्रव निकलने लगता है तथा इनमें खुजली भी होती रहती है।

बचाव:-

# वैसे यह रोग कुछ दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाता है लेकिन यदि रोगी व्यक्ति इससे अधिक परेशान हो तो इस रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार किया जा सकता है
# अत्यधिक धूप में न निकलें।
# हल्के कपड़े पहनें।
# गरम और तेज मिर्च-मसाले युक्त भोजन से पहरेज करें।
# ठंडे और शांतिदायक शर्बत व पेय का सेवन करें।
# साफ, धुले, सूती कपड़े पहनें। अंतर्वस्त्र दो बार बदलें।

उपचार:-

 > दिन में कम से कम दो बार ठंडे पानी से रगड़-रगड़कर स्नान करें।
> त्वचा पर कोक बटर, मिल्क क्रीम, मक्खन, कोल्ड क्रीम, मॉइश्चराइजर आदि की मालिश करें।
> गुलाब के फूलों का तेल 12 मिली, सिरका 48 मिली, कपूर एक ग्राम और फिटकरी तीन ग्राम लेकर मिलाकर दानों में लगाएं।
> नौशादर, कपूर, नीला थोथा, गंधक आमलासार सबको नौ-नौ ग्राम लेकर पीसकर तीन भाग में कर लें। फिर इसके एक भाग को दही में मिलाकर दानों पर मले। इसके सूखने पर स्नान कर लें।
> मुलतानी मिट्टी का दानों पर लेप करने से आराम मिलता है।
> खशखश के बीज 12 ग्राम को बकरी के दूध में पीसकर दानों पर मलें। फिर आधा     घंटा बाद स्नान करना लाभकारी होता है।

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